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कैपिटल एक्सपेंडिचर बनाम उपभोग : भारत के बजट का असली गेमचेंजर

[ डॉ. विकास गुप्ता, सीईओ और मुख्य निवेश रणनीतिकार, ओमनीसाइंस कैपिटल ]

भारत के केंद्रीय बजट 2025 ने उपभोग को बढ़ावा देने और पूंजी निवेश को प्राथमिकता देने के बीच संतुलन को लेकर एक व्यापक बहस छेड़ दी है। जहां कर राहत उपायों ने जनता का ध्यान आकर्षित किया है, वहीं गहराई से विश्लेषण करने पर पता चलता है कि आर्थिक विकास का असली इंजन सरकार का बुनियादी ढांचे और दीर्घकालिक पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) पर ध्यान केंद्रित करना है।

उपभोग को गति मिल रही है –

बजट 2025 की सबसे महत्वपूर्ण घोषणाओं में से एक शून्य-कर स्लैब को 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये करना था। इस उपाय के कारण सरकार को लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है। इस कर राहत से भारत के लगभग 30%-40% मध्यम वर्गीय परिवारों की डिस्पोजेबल आय में वृद्धि होगी, जिससे उपभोक्ता वस्तुओं, यात्रा, ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट में खर्च बढ़ सकता है।


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