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मिड और स्मॉल-कैप मैनिया : क्यों खुदरा निवेशकों को बड़े शेयरों लार्ज कैप्स की ओर संतुलन बनाना चाहिए

डॉ. विकास गुप्ता, CEO एवं चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट, OmniScience Capital

भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग के ताज़ा आंकड़े दिखाते हैं कि खुदरा निवेशक मिड- और स्मॉल-कैप फंड्स में ज़रूरत से ज़्यादा निवेश कर रहे हैं। अगस्त 2025 में, इक्विटी फंड्स में ₹33,430 करोड़ की नेट इनफ़्लो आई, जबकि SIP योगदान स्थिर रहा ₹28,265 करोड़।

कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियाँ (AUM) बाज़ार में गिरावट के कारण थोड़ा घटकर ₹75.18 लाख करोड़ हो गईं (जुलाई में ₹75.36 लाख करोड़ थी), लेकिन निवेशकों की भागीदारी मजबूत बनी रही। महीने में 15 लाख नए फोलियो जुड़े और रिटेल फोलियो बढ़कर 19.64 करोड़ तक पहुँच गए।

श्रेणीवार देखें तो फ्लेक्सीकैप फंड्स सबसे आगे रहे (₹7,679 करोड़), इसके बाद मिड-कैप (₹5,331 करोड़) और स्मॉल-कैप (₹4,993 करोड़)। लार्ज-कैप इनफ़्लो भी सुधरे और ₹2,640 करोड़ पर पहुँच गए जुलाई से 33% अधिक। वहीं, सोना और चांदी ETFs में भी अच्छी दिलचस्पी दिखी (₹7,200 करोड़ और ₹1,759 करोड़ क्रमशः)।
यह साफ संकेत देता है कि निवेशक अभी भी हाई-ग्रोथ सेगमेंट का पीछा कर रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे सुरक्षित लार्ज-कैप और कमोडिटीज़ की ओर भी रुख कर रहे हैं।


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