
डॉ. विकास गुप्ता, सीईओ और निवेश रणनीतिकार, ओम्निसाइंस कैपिटल
वैश्विक सुर्ख़ियाँ निवेशकों का ध्यान लगातार अपनी ओर खींच रही हैं — चाहे वह अमेरिका की ब्याज दरें हों, कच्चे तेल की क़ीमतें हों या फिर चीन की आर्थिक सुस्ती। लेकिन भारत के भीतर एक बेहद महत्वपूर्ण बदलाव चुपचाप आकार ले रहा है। जीएसटी 2.0 अगले उपभोग चक्र का वह अनदेखा और कम आंका गया मांग-प्रेरक साबित हो सकता है, जिसका प्रभाव घरेलू बजट, ग्रामीण मांग और कॉरपोरेट की टॉपलाइन पर बाज़ार ने अभी पूरी तरह नहीं आँका है।
जीएसटी काउंसिल के हालिया सुधार 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से अब तक का सबसे बड़ा नीतिगत कदम हैं। अनुपालन और सरलीकरण से आगे बढ़कर, ये कटौतियाँ सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं कि करोड़ों भारतीय किस तरह ख़र्च करते हैं, बचत करते हैं और अपने सपनों को आकार देते हैं — रसोई की ज़रूरतों से लेकर कक्षा की किताबों तक, और ग्रामीण खेतों से लेकर शहरी उपभोग तक।
।
Leave a Reply